सुलगते अहसास...


ज़िन्दगी के आंगन में
मुहब्बत की चांदनी बिखरी है
हसरतों की क्यारी में
सतरंगी ख़्वाबों के फूल खिले हैं
ख़्वाहिशों के बिस्तर पर
सुलगते अहसास की चादर है
इंतज़ार की चौखट पर
बेचैन निगाहों के पर्दे हैं
माज़ी के जज़ीरे पर
यादों की पुरवाई है
फिर भी
ज़िन्दगी के आंगन में
मुहब्बत की चांदनी बिखरी है...
-फ़िरदौस ख़ान 
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

5 Response to "सुलगते अहसास..."

  1. Amitraghat says:
    7 मार्च 2010 को 10:26 pm बजे

    "शब्दों का चयन खूबसूरत है........"
    प्रणव सक्सैना
    amitraghat.blogspot.com

  2. ज़मीर says:
    7 मार्च 2010 को 10:40 pm बजे

    Ek achi nazm.

  3. शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' says:
    8 मार्च 2010 को 12:08 am बजे

    ज़िन्दगी के आंगन में
    मुहब्बत की चांदनी बिखरी है...
    ......ख्वाहिशों के बिस्तर.........
    ........................बेचैन निगाहों के पर्दे .........

    क्या कहें......बस बहुत खूब...हमेशा की तरह

  4. दिगम्बर नासवा says:
    8 मार्च 2010 को 12:03 pm बजे

    माजी के जज़ीरे पर
    यादों की पूर्वाई है ....

    बहुत नाज़ुक, बहुत खूबसूरत ख्याल है ....

  5. vandana gupta says:
    8 मार्च 2010 को 12:04 pm बजे

    bahut hi sundar bhav.

एक टिप्पणी भेजें