सरफ़रोशी के हम गीत गाते रहे...

मुस्कराते रहे, ग़म उठाते रहे
सरफ़रोशी के हम गीत गाते रहे

रोज़ बसते नहीं हसरतों के नगर
ख़्वाब आंखों में फिर भी सजाते रहे

रेगज़ारों में कटती रही ज़िन्दगी
ख़ार चुभते रहे, गुनगुनाते रहे

ज़िन्दगीभर उसी अजनबी के लिए
हम भी रस्मे-दहर को निभाते रहे
-फ़िरदौस ख़ान
  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

18 Response to "सरफ़रोशी के हम गीत गाते रहे..."

  1. Shah Nawaz says:
    28 मई 2010 को 10:06 am बजे

    खूबसूरत ग़ज़ल, बहुत खूब!

  2. Shekhar Kumawat says:
    28 मई 2010 को 10:41 am बजे

    sarfaroshi ki tamana ab hamare dil me he

  3. संगीता स्वरुप ( गीत ) says:
    28 मई 2010 को 10:46 am बजे

    बहुत खूबसूरत.....

  4. पी.सी.गोदियाल "परचेत" says:
    28 मई 2010 को 11:24 am बजे

    Badhiyaa !

  5. शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' says:
    28 मई 2010 को 1:00 pm बजे

    रोज़ बसते नहीं हसरतों के नगर
    ख़्वाब आंखों में फिर भी सजाते रहे.
    वाह.......
    आपकी शायरी हमेशा लाजवाब होती है.

  6. shikha varshney says:
    28 मई 2010 को 1:18 pm बजे

    बहुत खूबसूरत गजल बहुत सुन्दर
    http://shikhakriti.blogspot.com/2010/05/blog-post_27.html

  7. M VERMA says:
    28 मई 2010 को 1:24 pm बजे

    सुन्दर गज़ल
    रेजग़ारी में ---

  8. ePandit says:
    28 मई 2010 को 6:23 pm बजे

    गम़ों के अंधेरे तूफान डराते रहे,
    हम मंजिल की ओर कदम बढ़ाते रहे।

  9. सम्वेदना के स्वर says:
    28 मई 2010 को 7:44 pm बजे

    छोटी बहर और गहरे मानी से सराबोर ग़ज़ल...

  10. अमिताभ मीत says:
    28 मई 2010 को 10:38 pm बजे

    बहुत ख़ूब !

  11. संजय @ मो सम कौन... says:
    29 मई 2010 को 8:16 am बजे

    बहुत खूबसूरत गज़ल।
    एक सुझाव - मुश्किल शब्दों का अर्थ लिख दिया करें, जैसे यहां ’रेगज़ारों’ का अर्थ हमें नहीं मालूम, अगर अर्थ मालूम चल जाये तो समझने में थोड़ी आसानी हो जाती है, नहीं तो अन्दाजे ही लगाने पड़ते हैं।
    वाह वाह तो बनती ही है :)

  12. राजकुमार सोनी says:
    29 मई 2010 को 9:01 am बजे

    अच्छे लोग अच्छा ही सोचते हैं इसलिए अच्छा लिखते भी है। शानदार रचना।

  13. vandana gupta says:
    29 मई 2010 को 11:48 am बजे

    bahut sundar.

  14. शेष says:
    29 मई 2010 को 2:53 pm बजे

    कुछ लोग इसलिए अच्छा लिख पाते हैं, क्योंकि वे खुद बहुत अच्छे होते हैं।

    -इस ग़ज़ल के सभी शे'अरों में बहुत सारे लोग खुद को पाएंगे...
    सहज और खूबसूरत ग़ज़ल...

  15. Unknown says:
    31 मई 2010 को 5:15 pm बजे

    kya baat hai.... kisi aznabi ke saath rishta nibhane ki

  16. prabhatpriyadarshi says:
    31 मई 2010 को 6:07 pm बजे

    weldon

  17. RAJNISH PARIHAR says:
    1 जून 2010 को 9:25 am बजे

    जन्म दिन की मुबारकबाद!

  18. संजय भास्‍कर says:
    2 जून 2010 को 9:51 am बजे

    shaandaar gazal

एक टिप्पणी भेजें