हरे कांच की चूड़ियां...


मेरे महबूब !
आज भी यादों में
खनक उठती हैं
हरे कांच की चूड़ियां...
यूं लगता है
जैसे तुमने
इन्हें हौले से छुआ हो...
-फ़िरदौस ख़ान
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