सिर्फ़ अहसास है...


अहसास सिर्फ़ अहसास हुआ करता है... अहसास है, तो ज़िन्दगी है... रिश्ते हैं... अगर अहसास ही दम तोड़ दे, तो फिर सबकुछ ख़त्म हो जाता है...
अहसास इंसान से जो न कराए, कम है... कहीं आग लगी है और लोग जान बचाने के लिए दौड़ रहे हैं... ऐसे में कुछ लोग अपनी जान की परवाह किए बग़ैर दूसरों को बचाने के लिए आग में कूद पड़ते हैं... बहुत अरसे पहले मेरठ में लगी ख़ौफ़नाक आग में जावेद नाम का लड़का कूद पड़ा था... उसने बहुत से बच्चों को आग से निकाला, लेकिन ख़ुद मौत के मुंह में चला गया...
यह अहसास ही तो था, जो जावेद ने अपनी ज़िन्दगी की परवाह किए बग़ैर औरों के लिए अपनी जान दे दी...
ज़रूरी नहीं कि अहसास को कोई नाम ही दिया जाए, बिना रिश्ते के भी लोग आपके लिए अपनी ज़िन्दगी क़ुर्बान कर दिया करते हैं...
गुलज़ार साहब ने भी क्या ख़ूब लिखा है-
हमने देखी है इन आंखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छूके इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ़ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो
हमने देखी है...
प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक ख़ामोशी है सुनती है कहा करती है
ना ये बुझती है ना रुकती है ना ठहरी है कहीं
नूर की बूंद है सदियों से बहा करती है
सिर्फ़ अहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम ना दो
हमने देखी है...
मुस्कराहट सी खिली रहती है आंखों में कहीं
और पलकों पे उजाले से छुपे रहते हैं
होंठ कुछ कहते नहीं, कांपते होंठों पे मगर
कितने ख़ामोश से अफ़साने रुके रहते हैं
सिर्फ़ अहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम ना दो
हमने देखी है...

तस्वीर गूगल से सभार
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