पतझड़ में मुझको ख़ार का मौसम बहुत अज़ीज़...

पतझड़ में मुझको ख़ार का मौसम बहुत अज़ीज़
तन्हा उदास शाम का आल बहुत अज़ीज़

छोटी सी ज़िन्दगी में पीया है कुछ इतना ज़हर
लगने लगा है मुझको हर एक ग़म बहुत अज़ीज़

सहरा की धूप नज़र आती है ये हयात
जाड़ों की नर्म धूम सा हमदम बहुत अज़ीज़

सारी गुज़ारी उम्र ख़ुदा ही के ज़िक्र में
मोमिन की नात में ढली सरगम बहुत अज़ीज़

सूरज के साथ-साथ हूं आशिक़ बहारे-गुल
सावन बहुत अज़ीज़, है शबनम बहुत अज़ीज़
-फ़िरदौस ख़ान

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • Twitter
  • RSS

0 Response to "पतझड़ में मुझको ख़ार का मौसम बहुत अज़ीज़..."

एक टिप्पणी भेजें