राम भला करे... अल्लाह भला करे...


हमारे घर (मायके में) कई फ़क़ीर आते हैं... कुछ रोज़ आती हैं... कुछ कभी-कभार आते हैं... और कुछ दिनों के हिसाब से आते हैं, जैसे हफ़्ते के दिन जो बाबा आते हैं, उनके हाथ में एक बर्तन और शनिदेव की मूरत होती है... पैसे बाबा के हाथ में दे दिए जाते हैं और सरसों का तेल बर्तन में डाल दिया जाता है... हफ़्ते के दिन कटोरी में सरसों का तेल और पैसे आंगन में ताक़ में रख दिए जाते हैं, ताकि बाबा को इंतज़ार न करना पड़े... अमूमन हमारे घर ताक़ में पैसे रखे रहते हैं, ताकि कोई आए, तो उसे वहां से उठाकर पैसे दे दिए जाएं...पिछले काफ़ी अरसे से ये काम हमारी नन्ही परी फ़लक कर रही है...
कई फ़क़ीर ऐसे होते हैं, जो भूख लगने पर खाना मांग लेते हैं, वरना बाक़ी आटा या पैसे लेकर चले जाते हैं...

एक बाबा रोज़ सुबह आते हैं... हमारे भाई अपनी बिटिया फ़लक को गोद में लेकर जाते हैं और उसी से उन्हें पैसे दिलवाते हैं... बाबा बिटिया के सर पर हाथ रखते और आशीष देते... पहले बाबा कहा करते थे- राम भला करे, राम ख़ुश रखे, राम लंबी उम्र दे, वग़ैरह-वग़ैरह... यानी उनके सारे आशीष रामजी को लेकर होते... पिछ्ले दिनों हम घर गए, तो देखा कि बाबा अब भी बिटिया को आशीष देते हुए कहते हैं- अल्लाह भला करे, अल्लाह ख़ुश रखे, अल्लाह लंबी उम्र दे, वग़ैरह-वग़ैरह...
आशीष तो आशीष हुआ करता है... भले ही लफ़्ज़ कुछ भी हों...
(ज़िन्दगी की किताब का एक वर्क़)


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