तारीख़ें


तारीख़ें... ये तारीख़ें ही तो हैं, जिन्हें हम याद रखना चाहते हैं... जिन्हें संजो लेना चाहते हैं, हमेशा के लिए... ये तारीख़ें, जो हमारे लिए बहुत ख़ास हैं... क्योंकि ये वही तारीख़ें हैं, जब हमारी ज़िन्दगी में कोई आया था... साल गुज़रते रहते हैं, साल-दर-साल... मगर ये तारीख़ें वही ठहरी रहती हैं, ये कभी नहीं बदलतीं... उन्हीं ख़ुशियों के साथ, जब इन्हें जिया गया था...
कुछ तारीख़ें, ऐसी भी हैं, जो आंसुओं से भीगी हैं... क्योंकि इनमें किसी अपने से बिछड़ने का दर्द समाया हुआ है... जिन्हें हम चाहकर भी बदल नहीं सकते... मिटा नहीं सकते...
ये तारीख़ें, जो कभी नहीं बदलेंगी... ये हमारी ख़ुशियों, हमारे ग़मों के साथ हमेशा वाबस्ता रहेंगी...
-फ़िरदौस ख़ान
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